होठो पर ही ठहरे रहते हैं होठो पर ही ठहरे रहते हैं
रेल की पटरियों की तरह है जो समानांतर पर एक दूसरे से डिस्टेंस बना कर रहती है । रेल की पटरियों की तरह है जो समानांतर पर एक दूसरे से डिस्टेंस बना कर रहती है ।
मैं कुछ व्यक्तिगत कारणों से अपनी रचनाएँ Story Mirror से डिलीट करवाना चाहता हूँ। मैंने इस विषय मेल भी... मैं कुछ व्यक्तिगत कारणों से अपनी रचनाएँ Story Mirror से डिलीट करवाना चाहता हूँ। ...
सुभाष भी दुखी था कि उसने अपनी पत्नी के मनोभावों को नहीं समझा।। सुभाष भी दुखी था कि उसने अपनी पत्नी के मनोभावों को नहीं समझा।।
वो-प्लीज बी ...कीप शेयरिंग देयर यार। मैं-ओके डीयर। वो-प्लीज बी ...कीप शेयरिंग देयर यार। मैं-ओके डीयर।
मैं तुम्हें चाहती हूँ और हमेशा चाहती रहूंगी बिना कोई आस बिना कोई मकसद के ! मेरी चाहत तुम्हें पाना नह... मैं तुम्हें चाहती हूँ और हमेशा चाहती रहूंगी बिना कोई आस बिना कोई मकसद के ! मेरी ...